#KabirPrakatDiwasNotJayanti

कबीर साहेब का प्रकट दिवस होता है, जयंती नहीं!
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
पूर्ण परमात्मा का माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता।
कबीर परमात्मा सशरीर सतलोक से आते हैं, उनका जन्म नहीं होता।
जो देव जन्म मृत्यु के चक्कर में है उनकी जयंती मनाई जाती है लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है क्योंकि वो सत्यलोक से सशरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं -
"गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरूष कबीर”
जलज माहि पौडन किए, सब पीरन के‌ पीर।।*
सिर्फ कबीर जी का ही प्रकट दिवस क्यों ?*
   ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि वह परमात्मा सतलोक से शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है और कुंवारी गायों के दूध से उसकी परवरिश होती है ।
ऋग्वेद  मंडल नंबर 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में भी वर्णन है कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी जान बूझकर बालक रूप में प्रकट होते है।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है ।

चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से, 
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
बाकी सभी देव मां के गर्भ से जन्म लेते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Human rise

क्या दहेज प्रथा उचित है

Eating meat is a sin